पत्थर होता है वह अपना अस्तित्व एक साथ नहीं खोता बस धीरे धीरे नदिया की धारा में पत्थर होता है वह अपना अस्तित्व एक साथ नहीं खोता बस धीरे धीरे नदिया ...
आत्ममिलन जो इस तन से हो, वह मणि बंध हो ।। आत्ममिलन जो इस तन से हो, वह मणि बंध हो ।।