क्या नारी हो? क्या अब भी गुलामी में रहती हो? उबल जाओ, उफ़न जाओ! तप्त बन जाओ...!! क्या नारी हो? क्या अब भी गुलामी में रहती हो? उबल जाओ, उफ़न जाओ! तप्त बन जाओ.....