मन वसंती तन वसंती देख ये धरा भी आज हो गयी है वसंती , मन वसंती तन वसंती देख ये धरा भी आज हो गयी है वसंती ,
बसंती हवा चली सबके मन लगी । गाँव-गाँव और गली तेजी से ये बही। बसंती हवा चली सबके मन लगी । गाँव-गाँव और गली तेजी से ये बही।
हाय रे बैरन बयार, कहर ढा रही है। बिन लगाए इत्र नित, निज तन महका रही है।। हाय रे बैरन बयार, कहर ढा रही है। बिन लगाए इत्र नित, निज तन महका रही है।...
नई नवेली दुल्हन सी सजी धरती रूप अनोखा छाया है! नई नवेली दुल्हन सी सजी धरती रूप अनोखा छाया है!