मूंद लूँ मैं आँखें इत्मीनान के साथ गर मेरी ये इल्तिज़ा कबूल हो जाए। मूंद लूँ मैं आँखें इत्मीनान के साथ गर मेरी ये इल्तिज़ा कबूल हो जाए।
बात रसूल की हो या उसूल की हम समझौता नहीं करते बात रसूल की हो या उसूल की हम समझौता नहीं करते