छोड़िये बातें समन्दर की मियाँ। अब तो क़तरे से संभलना चाहिए। छोड़िये बातें समन्दर की मियाँ। अब तो क़तरे से संभलना चाहिए।
फिर इबादत करू तेरी चाह में फिर इबादत करू तेरी चाह में
कई वर्षों का ये जीवन, यूं ही बर्बाद किया है, सार्थक हो ये जन्म कि ऐसा, कोई ना काम कि कई वर्षों का ये जीवन, यूं ही बर्बाद किया है, सार्थक हो ये जन्म कि ऐसा, ...