इस धरा पर कैसा 'हलाहल' छाया हैं? पर 'प्रणय पत्रिका' ने तो प्रेम फैलाया है। प्रभू की आराधना में 'ते... इस धरा पर कैसा 'हलाहल' छाया हैं? पर 'प्रणय पत्रिका' ने तो प्रेम फैलाया है। प्र...
हास्य-व्यंग्य पर फोकस थी। हास्य-व्यंग्य पर फोकस थी।
ख़त खून से था लिखा, साथ में गुलाब रखा, मन में साहस भर, ख़त पकड़ाए जी। ख़त खून से था लिखा, साथ में गुलाब रखा, मन में साहस भर, ख़त पकड़ाए जी।