कवि बारिश को आहिस्ता बरसने का अनुरोध करते हैं। जिस तरह मिटटी गीलापन धीरे -धीरे सोक लेता है उसी तरह... कवि बारिश को आहिस्ता बरसने का अनुरोध करते हैं। जिस तरह मिटटी गीलापन धीरे -धीरे ...
खो गई हूं मैं, जहां की भीड़ में, इस भीड़ से बाहर आना चाहती हूं मैं खो गई हूं मैं, जहां की भीड़ में, इस भीड़ से बाहर आना चाहती हूं मैं