किरणों को ही स्वीकारता मिलन व मरण, किरणों को ही स्वीकारता मिलन व मरण,
खो गई हूं मैं, जहां की भीड़ में, इस भीड़ से बाहर आना चाहती हूं मैं खो गई हूं मैं, जहां की भीड़ में, इस भीड़ से बाहर आना चाहती हूं मैं