कविता नोटबंदी के बाद उपजे हालातों से जूझते बैंकर्स की पीड़ा को बयां करती है कविता नोटबंदी के बाद उपजे हालातों से जूझते बैंकर्स की पीड़ा को बयां करती है
तेरे पिता की इच्छा थी मैं रहूँ, ‘रिज़र्व-बैंक’ की तरह, सदा तेरे संग...! तेरे पिता की इच्छा थी मैं रहूँ, ‘रिज़र्व-बैंक’ की तरह, सदा तेरे संग...!