ना समंदर का किनारा था ना बगीचों का सहारा था.. घर पर ही डर के मारे इंसानों का बसेरा था. ना समंदर का किनारा था ना बगीचों का सहारा था.. घर पर ही डर के मारे इंसानों का ...
सूने रहने लगे हैं बगीचे बच्चों बिन, गुम होने लगे हैं गेंद खेलने वाले दिन। सूने रहने लगे हैं बगीचे बच्चों बिन, गुम होने लगे हैं गेंद खेलने वाले दिन।