जाने क्यों पसन्द था बन्धन मुझे, विवाह का, अपनत्व का, प्रेम का और ममत्व का...! जाने क्यों पसन्द था बन्धन मुझे, विवाह का, अपनत्व का, प्रेम का और ममत्व का...!
प्रियवर, मेरा तो ये, सारा अब संसार है तुमसे...! प्रियवर, मेरा तो ये, सारा अब संसार है तुमसे...!