हर तरफ टूट-टूट कर गिर रहा है वक्त का तंत्र और मुझे कविताओं की चिंता है। हर तरफ टूट-टूट कर गिर रहा है वक्त का तंत्र और मुझे कविताओं की चिंता है।
प्रसूता अपनी आँखों में अनजाने रिश्तों में आत्मीयता देख रही थी ! प्रसूता अपनी आँखों में अनजाने रिश्तों में आत्मीयता देख रही थी !