मुआफ़िक रबड़ के खिंच कर सुबह जो, शाम होती है मुआफ़िक रबड़ के खिंच कर सुबह जो, शाम होती है
आपके कथित शुभचिंतक आपका खूब ध्यान रखेंगे, आपके कथित शुभचिंतक आपका खूब ध्यान रखेंगे,
मगर जैसे कयामत है उसमें, जो हर एक चीज़ मुझे उसकी तरफ़ खींच ले जाती है। मगर जैसे कयामत है उसमें, जो हर एक चीज़ मुझे उसकी तरफ़ खींच ले जाती है।