वो कहते हैं ना मैं तुलसी तेरे आँगन की कुछ-कुछ यूँ ही। वो कहते हैं ना मैं तुलसी तेरे आँगन की कुछ-कुछ यूँ ही।
'छीन गई मेरी घूमने की आज़ादी, दर-दर भटक रहा हूँ बनकर फरियादी, सुंदर शोख़ हसीना अब रही ना मुझको याद, शा... 'छीन गई मेरी घूमने की आज़ादी, दर-दर भटक रहा हूँ बनकर फरियादी, सुंदर शोख़ हसीना अब ...