अब इसे क्या कहें? कालाबाजारी या फिर मर चुकी इंसानियत। अब इसे क्या कहें? कालाबाजारी या फिर मर चुकी इंसानियत।
समेट रहा क्यों दोनों हाथ पाप भरी यह झूठी मााया।। समेट रहा क्यों दोनों हाथ पाप भरी यह झूठी मााया।।