ख़ुशियों की न परवाह थी उसको वह तो सिर्फ दुख सहता रहा ख़ुशियों की न परवाह थी उसको वह तो सिर्फ दुख सहता रहा
फूंकते हो तुम, सुलग जाती हूँ मैं सुनो, इसे बुझा दो बुझना चाहती हूं मैं। फूंकते हो तुम, सुलग जाती हूँ मैं सुनो, इसे बुझा दो बुझना चाहती हूं मैं...
चार कश और गयी जिंदगानी। चार कश और गयी जिंदगानी।