जिनको मिली ना मंज़िल कभी सफ़र में उन अंधेरी गलियों को भी आफ़ताब लिखा है ! जिनको मिली ना मंज़िल कभी सफ़र में उन अंधेरी गलियों को भी आफ़ताब लिखा है !
दुनिया- ए-आफ़ताब देखने का नजरिया अलग है.. दुनिया- ए-आफ़ताब देखने का नजरिया अलग है..
अरमानों की लाशों को जलाना अभी बाकी है, कुछ ख्वाहिशों को बस दफ़नाना ही बाकी है। अरमानों की लाशों को जलाना अभी बाकी है, कुछ ख्वाहिशों को बस दफ़नाना ही बाकी है...