ज़िन्दगी की तलाश इस कदर गहरी हुई, बे निशान बे निशान सी ज़िन्दगी हुई। ज़िन्दगी की तलाश इस कदर गहरी हुई, बे निशान बे निशान सी ज़िन्दगी हुई।
कुछ यूँ हुआ है आगमन मेरे जीवन में उसका कुछ यूँ हुआ है आगमन मेरे जीवन में उसका
मैं इत्मिनान से सुबह सुबह चाय पका रही हूँ। मैं इत्मिनान से सुबह सुबह चाय पका रही हूँ।