जो भी मांग है वो मशवरे से सुलझ सकती है क्या उसके लिए कत्ल ए आम ज़रूरी है जो भी मांग है वो मशवरे से सुलझ सकती है क्या उसके लिए कत्ल ए आम ज़रूरी है
अपने हिस्से की खुशियां जो 'पूनम' जग को दे जाता, उसके खातिर सदियां रोई अखबारों के पन् अपने हिस्से की खुशियां जो 'पूनम' जग को दे जाता, उसके खातिर सदियां रोई अखबार...