यूं ना होगें....
यूं ना होगें....
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तुझे इश्क करने वाले कम ना होगें,
मगर भीड़ में कभी हम ना होंगे।
इस दर्द को भी हम पी लेते,
जो ये आंखें हमारी नम ना होंगे।
घाव तो गहरा दिया है तुमने,
उस दर्द के कोई मलहम ना होंगे।
ज़रा देर से तुम आया करते हो,
मुहब्बत में जख्म पैहम ना होंगे।
तेरे जाने का गम लिए बैठे है,
खुशी होगी तो ये ग़म ना होंगे ।
फूल तो अपनी खुशबू बिखेरता हैं,
फ़िर फिजाओं में शबनम ना होंगे।
दिलों की बातें तो होती ही रहेंगी,
अगर कुछ मशवरे बाहम ना होंगे।
अपनी याद दिला के चले गए,
इतने तो तुम कभी बरहम ना होंगे ।