यादें यूँ ही
यादें यूँ ही
यादें यूँ ही…
चलती हैं सदैव ही मन के पटल पर हूबहू
रहती हैं तुम्हारे मेरे साथ की स्मृतियां
मन के किसी कोने में दबी सी
यादों की मंजूषा में मानों समेट कर
रख दी गई हो सहेजने की वे मधुर
यादें यूँ ही…
चलती हैं सदैव ही मन के पटल पर हूबहू
वही साथ की, मुलाकात की बातें
यादों में उभरती हुई यौवन के समान
मानों उफान पर हों यादों की लहरें
अचानक उभरती सी
यादें यूँ ही…
चलती हैं सदैव ही मन के पटल पर हूबहू
यादें वैसे ही उत्पन्न होती हैं
मानों कुछ नवीनता लिए आई हों
और दे जाती हैं उन पलों को
साथ जीने के अहसास लिए
यादें यूँ ही…
चलती हैं सदैव ही मन के पटल पर हूबहू
अचानक यादें ताजा होकर
रूप धर लेती हैं तड़फन का
दर्द के करुण क्रंदन का
और फिर से बस जाने को बस पुरानी
यादें यूँ ही…