Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Rakesh Srivastava

Others

4.8  

Rakesh Srivastava

Others

यादें बचपन की

यादें बचपन की

1 min
311


वो दिन भी क्या दिन थे

जब सच में मनती थी दीवाली

भाई-बहन संग संग मिल कर

मिट्टी का एक घरौंदा बनाते थे।


मिलजुल कर उसको रंगते थे

और सब मिलकर खूब सजाते थे

शाम ढले घर में दीवाली मनती थी

फिर हमारे घरौंदे में भी मनाते थे।


नाना के घर या बाबा के घर

सब भाई बहन इकठ्ठे हो कर

हिल मिल खूब पटाखे जलाते थे

खील बताशे लाई मीठे खिलौने

कई तरह के पकवान

हम संग बैठ कर खाते थे।


न जान वो दिन कहां चले गए

सब रिश्ते कितनी दूर हो गए

क्या फिर कभी ऐसा हो पाएगा

नाना के घर या बाबा के घर।

 

हम फिर संग-संग हर त्योहार मनाएंगे

क्या वापस दिन वो फिर आएंगे।


Rate this content
Log in