खुद गूंगी होने पर भी यह बधिर चीजों से हमें जीवन का रहस्य समझाती है। खुद गूंगी होने पर भी यह बधिर चीजों से हमें जीवन का रहस्य समझाती है।
रात को भीगती, दिन को सूखती हवा के साथ लहराती रहती। रात को भीगती, दिन को सूखती हवा के साथ लहराती रहती।
क्यों बैठे हो तुम गुमसुम से, बैठे हो तुम क्यों यहाँ ? क्यों बैठे हो तुम गुमसुम से, बैठे हो तुम क्यों यहाँ ?
उसकी दोस्ती अच्छी है। हम हर दिन उसकी प्रशंसा करते हैं। उसकी दोस्ती अच्छी है। हम हर दिन उसकी प्रशंसा करते हैं।