Amrita Rai
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वो चाह कहां, उत्साह कहां, कहां हैं वो उम्मीदें
जो अंधेरों में रास्ता दिखा जाती हैं।
वो मोड़ कहां, वो राह कहां, कहां हैं वो ठोकरें
जो चलने का संभलने का हुनर सीखा जाती हैं।।
पल दो पल का य...
हमारे नैन
गुजारिश है तु...
लिखते हैं दर्...
हर रोज इरादा ...
अच्छा लगने लग...
लिखते लिखते र...
खुद को संभाल ...
क्यों नहीं बत...
हर अदा तुम्हा...