वो लम्हें
वो लम्हें
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वो लम्हे कुछ कहते है, हमसे हमें जो अपने दूर होते है।
अपने बेहालों की बेदर्दी का हमें वो मंज़र दे जाते है।
वो लम्हे कुछ कहते है, हमसे अपने साथ छोड़ जाते है।
जीवन अपना वो भी अपनों से बेरुखा करके जाते है।
वो लम्हे कुछ कहते है, जब हमसे अपने टूट जाते है।
बेइंतहा मुहब्बत वह अपनी ठुकरा के जब जाते है।
वो कुछ कहते है, जब बीते हुए पल याद आते है।
हमदर्द ही हार्दिक बेरहमी ज़िल्लत से जाते है।
