STORYMIRROR

Nitu Maharaj

Children Stories

4  

Nitu Maharaj

Children Stories

वो दिन मेरे जो बचपन का

वो दिन मेरे जो बचपन का

1 min
243

वो दिन मेरे जो बचपन का 

गुड्डा गुड़ियों का खेला था ,

मस्ती भरा था हर एक पल

खुशियों का लगता मेला था

वो झूले आम के पेड़ का

था तितलियों से गहरा नाता

वो दिन मेरे जो बचपन का। 


मां मारती कान पकड़ के ,

पिता जी डांट लगाते थे,

हाथ पकड़ के हमे रुलाके

जबरदस्ती स्कूल पहुंचाते थे,

किताबों से लगता था डर ,

ये शरारत भरा था मन अपना

वो दिन मेरे जो बचपन का ।


वो बड़ी गजब कहानी थी

जब बरसती बारिश की पानी थी

हम बारिश में खूब नहाते थे

कागज का नाव बनाते थे

हम खूब जश्न मनाते थे

है दिन था वो बहारों का 

हर गम से था अनजाना

वो दिन मेरे जो बचपन का,


अरमानों का उड़ता पतंग था

खब्बों में तारे चमकते थे 

बना के टोली दोस्तों का हम

बागों में खूब मटकते थे ,

दादी मां की थी वो कहानी

एक था राजा एक थी रानी

क्या खूब था वो तराना 

वो दिन मेरे जो बचपन का।


Rate this content
Log in