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Harshita Dawar

Others

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Harshita Dawar

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वक़्त

वक़्त

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वक़्त उफ़ ये वक़्त

रुकता क्यूं नहीं

वक़्त को तकलीफ़

क्या दे,वो हमें देता

रहा अपना समझ कर

वक़्त भी का शतरंज

के मोहरे चलता है।

कभी छोटी सुई को

कभी बड़ी सुई को

पीछे दौड़ता रहता है

हम कभी चलते कभी

 भागते नज़र आते है,

क्या खूब चलाती है

ये सुईया साहब

वक़्त के खेल निराले

वक़्त पर ही बताता है।

ना पहले ना बाद बस।

वक़्त पर ही ज़वाब देता है।

वक़्त दिखता है ओकत

इंसानियत का खिलवाड़

करते लोगों के चेहरे से नकाब

हटाता है वक़्त वक़्त पर ही

सही रंग लाता है।


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