विरह की बेला
विरह की बेला
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विरह की बेला सही न जाए ,
काहे न कान्हा तू मो से मिलन को आए ,
तू तो छलिया गोपियों संग रास रचाए ,
काहे दियो तू मोहे बिसराए,
नैना मोरे तोरे दरश को तरस जाए ,
पूछे राधिका कान्हा से अँखिया भिंगाए ।
