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Sarita Saini

Others

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Sarita Saini

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विरह की बेला

विरह की बेला

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विरह की बेला सही न जाए ,

काहे न कान्हा तू मो से मिलन को आए ,

तू तो छलिया गोपियों संग रास रचाए ,

काहे दियो तू मोहे बिसराए, 

नैना मोरे तोरे दरश को तरस जाए ,

पूछे राधिका कान्हा से अँखिया भिंगाए ।



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