वीणा का तार होने लगी बेटियां
वीणा का तार होने लगी बेटियां
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घर का अस्तित्व, एक पहचान
और मुस्कान होती हैं बेटियाँ !
सबका अभिमान,सम्मान
और अरमान होती हैं बेटियाँ !
सुरों की सरगम और वीणा का
बजता तार होती हैं बेटियाँ !
कल का भविष्य और सुनहरा
वर्तमान होती हैं बेटियाँ !
सुबह का सूरज और
सावन की फुहार होती हैं बेटियाँ !
असीम प्यार दुलार और
घर का श्रृंगारी होती हैं बेटियाँ !
