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Ravikant Raut

Others

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Ravikant Raut

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उसने कहा

उसने कहा

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हॉट-पैंट, बैकलेस, टैंक-टॉप और

घुटनों पर फटी जींस

तुम मानती रहो इन्हें

आधुनिकता की निशानी

पर स्वच्छंद भोग का

खुला आमंत्रण मानते हैं

इसे उतारने की चाह रखने वाले


क्या होगा जब कट जाओगी या

काट दी जाओगी

कितना भटक पाओगी तब

अनिश्चय के आकाश में

लुट जाओगी या

लूट ली जाओगी

चिंदी-चिंदी होने तक

जमीन पर आती

एक कटी पतंग की तरह


मेरी मानों ... चलो सजाते हैं

‘एक से दो फूल’

अपनी ज़िंदगी के गुलदस्ते में

ऐसे भी तो मना सकते हैं हम रोज

जश्न अपनी खुशियों का


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