Chitra Yadav
Others
अक्सर
तमाम परेशानियों, ग़म और
जहनी पशोपश के बीच
एक ख़याल रौशन होता है,
"कोई बात नहीं, इंतजार करती हूँ
शायद कल कुछ बेहतर हो"
और इस रौशनी के तले
वो तमाम परेशानियां, ग़म और
जहनी पशोपेश धुँधला जाते हैं।
शायद इस ख़याल को ही
"उम्मीद" कहते हैं।
अफसोस
दोस्त
हमारी ख्वाहिश...
इश्क
रिश्ते
इंतजार
खामोश मोहब्बत
अपने
सौरभ
कविता