-:तुमसे दूर :-
-:तुमसे दूर :-
तुमसे दूर होकर
तुम्हें सिर्फ़
अब याद ही
कर सकता हूँ
तुम्हारा गुज़रते हुऐ
बगल से अक्सर
मिलकर चले जाना
मुझसे मुस्कुराते हुऐ
उस भीड़ में भी
जहाँ जी भर देख भी
नहीं पाता था तुम्हें
पता है तुमको
तुम्हारी छोटी सी
मुस्कुराहट
मेरी ज़िंदगी को
मुस्कुरा देती थी
दिन भर के लिऐ
पता नहीं चलता
कब शाम हो गई
उस पल के साथ
जिसे बाँध कर
रखता था पास अपने
तुम्हारे जाने के बाद
तब तक के लिऐ
जब तक फिर
दोबारा न देख लूँ
तुम्हारी हँसी को
आज भी वही सोच
तुम्हें याद कर
करीब पाता हूँ
तुमको और तुम्हारी
वो मुस्कान को
जिसे देखे न जाने
कितने मुद्दत हो गऐ ........
प्रकाश यादव “निर्भीक”
बड़ौदा – 15-09-2015