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-:नाजुक हृदय :-

-:नाजुक हृदय :-

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-:नाजुक हृदय :-

 

तुमसे मिलने को मेरा मन करता है

रूठे हुए को मनाने का मन करता है

 

हो गई बहुत अब लुका छिपी हमारी

दीदार हो जल्द ये अन्तर्मन करता है

 

वजह तुम्हें मालूम और मुझे खबर है

सब भुला कर चाह आलिंगन करता है

 

उदास तुम क्यों हो कहो मुसकाने से

देखने को हंसी तुम्हारी नयन करता है

 

मिलते है बहुत हसीन सूरत भी यहाँ

तुम्हें छोड़ मन दूजा न चयन करता है

 

हाँ मैं जिद्दी हूँ वो भी तुम्हारी खातिर

जिद नहीं तेरा दिल मिलन करता है 

 

जब रूठा तुमने तो मनाया भी मैंने

अब तुम करो ऐसा सजन करता है

 

है बहुत ही नाजुक हृदय का “निर्भीक”

गुल बनो गुलशन का चितवन करता है 

 

                  प्रकाश यादव “निर्भीक”

                  बड़ौदा – 18-09-2015

                 


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