तुम्हारा नशा क्या है ?
तुम्हारा नशा क्या है ?
शराब पीते लोगों के बीच हूँ
अजीब-अजीब से सोच में
कभी साँसे तेज़
कभी साँसें कम
सोच समझ के
हाँ में हाँ मिला रहा
खुद के बारे में सोच रहा
और सामने वाले के चेहरे को पढ़ रहा
कहाँ अटकी है जिंदगी अपनी
और इनकी किधर जा रही है
जितने का शराब गटक रहे हैं ये लोग
उतने में मेरे सौ काम निपट जाए
शराब से चमकती काँच के बीच
कोल्ड कॉफ़ी कितनी सुंदर लगती है
इसके लिए मुझे शराब को चखना होगा
या फिर उन्हें कॉफ़ी पीनी होगी पर ये पीने से रहे क्योंकि
"ये दूध पिता है भाई"
कहकर बिठाया गया है मुझे
फिर सोचता हूँ
भाई ! मेरे अपने नशे हैं
मुझे गानों का नशा है
गीत का नशा है
पोएट्री का नशा है
शायरी का नशा है
मैं इन सब में नाचता हूँ
और जब इनके लिए नाचता हूँ
तो किसी शराबी से ज्यादा नंगा नाचता हूँ
तब मैं तुमपे हँस सकता हूँ
क्योंकि ये नशा सबको नहीं होती
कला का नशा किसी काँच में नहीं समा सकता
ये कलाकार माँगती है
वो नजर , वो कान, वो हाथ , वो सोच माँगती है ।
इन्हीं सोच के बीच अब मुझसे पानी की बोतल माँग ली गयी है
लेकर आता हूँ फिर आगे का सोचता हूँ ।
