टूट रहे परिवार हमारे
टूट रहे परिवार हमारे
सद्भावो की गंगा को हम अपने घर में लाएं ।
टूट रहे परिवार हमारे आओ इन्हें बचाएं ।।
जहां प्यार की नहीं कमी थी, वो परिवार रहे हैं।
रिश्तों का सम्मान जहाँ था, वो घरबार रहे हैं ।।
साझा चूल्हे चलते थे ,कैसे व्यवहार रहे हैं ।
बूढों के सिर ताज जहाँ था, वो दरबार रहे हैं ।।
जहाँ स्वर्ग सुख नहीं समाता था कैसे झुठलाएं।
टूट रहे परिवार हमारे , आओ इन्हें बचाएं ।।
हम छोटे परिवार बनाने, की धुन में हैं पागल ।
अब बरगदकी छांया से,हम दूर हो रहे हरपल।।
आज बड़े परिवारों पर, छाये संकट के बादल ।
टूट रहे परिवार हमारे ,होते जाते निर्बल।।
जख्मी संबंधों पर मरहम लोगों उठो लगाएं।
टूट रहे परिवार हमारे आओ इन्हें बचाएं।।
शौहर बीबी दोनों ही अब रोज कमाने जाते ।
घरकी लक्ष्मी का आसन घरघर में खाली पाते।।
इक घर की दो चाबी रखते जब चाहे तब आते।
दोनों ही स्वतंत्र बने एक दूजे पर गुर्राते ।।
टिकी जिंदगी समझौते पर कैसे साथ निभाएं।
टूट रहे परिवार हमारे आओ इन्हें बचाएं ।।
पतिपत्नी का गया जमाना अब है लिवइन भाई।
"अनंत" आने वाले कल की ये होगी सच्चाई।।
कब बेवफा मर्द बन जाए, कब औरत हरजाई।
कब खुद जाए इन रिश्तों में, गहरी कोई खाई।।
बच्चे जब दर दर के होंगे, शरण कहाँ वे पाएं।
टूट रहे परिवार हमारे ,आओ इन्हें बचाएं ।।