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Manoj Kumar

Others

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Manoj Kumar

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तेरी मुस्कान

तेरी मुस्कान

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मधुकर ने जब कलियों से कहता।

रुको एक नज़ारा दिखाता हूं।

सुबह की किरणों से खिले हुए।

सरोवर में खिले कमल दिखाता हूं।


चांद से रोशनी बटोरे हुए।

पुष्पित पुष्प रोशनी किए हुए।

कोमल पत्ते पर सबनम के चलने की आवाजे आती हैं।

चमक- दमक ठुमक की आवाजे आती हैं।।


खुशबू भी तैयारी बनाती हैं, तेरे पास आने को।

यही बात कोकिल भी कहती,

तुझसे दिल लगाने को।

तेरी मुस्कान देखकर मनोज भी मग्न हो जाते हैं

ऐसी तेरी मुस्कुराहट है, सबको मोहित कर जाती हैं।


जलद- जलाधि देखे तुझको,

नैन से नैन मिला कर।

सब सोच में पड़ जाते है, यहां के पंछी।

सुबह आवाज़ लगाकर।


भाेंहे जब सिकोड़ती है।

तब और अच्छी लगती हैं।

सरोज के पंखुड़ियों जैसी है, जो इनकी होंठ।

हमें भी पाने की अभिलाषा बन जाती है।


जब वो मंद हास होती है।

किसलय जैसी लगती है।

जब प्रेम होता हैं इक पल के लिए।

सबको घायल कर जाती हैं।



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