Rekha Shukla
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रेशम जैसी हवा ने सराहा फूलों के तन को तौबा तौबा
गाते झरने मतवाले पंछी ही कलम अरे तौबा तौबा
ज़ख़मी सांसे ...
माँ
रूठे
शब्द
एक लम्हां सो ...
पायल
ख़ुदा
रंग कलम से बे...
सैयो
ओ' परवर दिगार...