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Ragini Uplopwar

Others

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Ragini Uplopwar

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सूर्य

सूर्य

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प्रातः से शाम तक

उत्साह पूर्वक अपनी खोज में

निकले हो तुम

दिन भर पसीना बहाकर

शाम को कुछ उदास नजर आते हो तुम

अपनी आकांक्षाओं के "पर "

पैरो से क्यों काट कर नहीं फेकते हो तुम

आखिर कब तक

परिक्रमा करते रहोगे तुम

आखिर कब तक


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