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पं.संजीव शुक्ल सचिन

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पं.संजीव शुक्ल सचिन

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सरस्वती वंदना

सरस्वती वंदना

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नमामि मातु मालिनी, नमामि विन्ध्यवासिनी।

भजामि मातु भोगदा, नमामि लोक वासिनी।

दया करो दया करो, दया करो सुहासिनी।

बुहार  अज्ञता  सदा, अविद्यता विनाशिनी।


विचार नेक हो सदा, प्रमाद ही विनष्ट हो।

दया  दयालुता  बिना, न वक्ष ही निरष्ट हो।

विकार की विनाशिनी, सुपंथ मां न भ्रष्ट हो।

असत्य  से  परे  रहूँ, चलूँ सदा न कष्ट हो।।


लिखूँ सुगीत मैं सदा, विशुद्ध माँ विचार दे।

न  वक्ष में प्रपंच हो, सुछंद माँ सुधार दे।

चले  सदा  सुलेखनी, सुमंत्र का प्रसार दे।

नमामि  वारिजासना, विचार में निखार दे ।।



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