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Hardik Mahajan Hardik

Others

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Hardik Mahajan Hardik

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सर्द हवाएँ

सर्द हवाएँ

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जीवन जिसके आज विपरीत है।

       कैसी दुविधा में पड़ा विकसित है।


सर्द हवाएँ छू कर गुज़र जाएगी,

        फिर बसन्त की फुहार आएगी।


जीवन जिसका कोई विकल्प नहीं,

        कल्पना जिसकी कोई तुलना नहीं,


विपरीत परिस्थितियों में असमंजस,

       निहित करें गौरव जहां परवेश में,


कैसा होगा श्रेय इसका गणवेश में,

       छू कर गुज़र जाएगी सर्द हवाएँ।


असमंजस बसन्त बेला आएगी,

       फिर बसन्त टेसू के फूल खिलाएगी।



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