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Ajay Amitabh Suman

Others

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Ajay Amitabh Suman

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संस्कार

संस्कार

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क्या कहूँ जब पापा और माँ झगड़ रहे थे

बिजली कड़क रही थी, बादल गरज रहे थे

इधर से दनादन थप्पड़, टूटी थी चारपाई

उधर से भी चौकी और बेलन बरस रहे थे


जमने की थी बस देरी, औकात की लड़ाई

बेचारे पूर्वजों के, पुर्जे उखड रहे थे

अरमान पड़ोसियों की, मुद्दत से पड़ी थी सूनी

बारिश अब हो रही थी , वो भींग सब रहे थे


मिलता जो हमको मौका, लगाते हम भी चौका

बैटिंग तो हो रही थी, हम दौड़ बस रहे थे

इन बहादुरों के बच्चे, आखिर हम सीखते क्या

दो चार हाथ को बस, हम भी तरस रहे थे....


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