संकल्प - नए साल का
संकल्प - नए साल का
हर साल की तरह
इस साल भी
मैने लिया संकल्प ,
कि कभी ना होंगे जुदा
हम दोनों के वो खूबसूरत पल ,
जिसमें हम दोनों मिलते हैं अक्सर ,
और फिर मिल के खो जाते हैं ,
जब भूल जाते हैं ये दुनियादारी ,
और अपनी एक दुनिया बसाते हैं।
वो चोरी - चोरी तब तुमसे मिलना
मुझे अंदर बहुत जलाता है ,
पर फिर भी उस जलने में मुझको ,
एक अलग मज़ा आ जाता है।
कितने साल बीत गए
हम दोनो को ऐसे मिलते - मिलते ,
और हर साल में हम दोनों ,
फिर बुनते हैं .....
सपने कितने ?
इस बार इस नए साल में ....
365 दिनों का होगा मेला ,
कभी हकीकत तो कभी सपनों में ,
हम दोनों का खिलेगा फिर से चेहरा।
मिलना हमारी अब आदत ही नहीं
एक ज़रूरत सी बन गई है देखो ,
फिर कशमकश में क्यूँ रहें हम ?
एक संकल्प करें चलो ....
कि मिलेंगे फिर हर जनम।
