संगत
संगत
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सदा जो सुसंगत में आते रहेंगे
विवेकी स्वयं को बनाते रहेंगे
उन्हीं की बनी और बनती रहेगी
पथिक अपने में अपने प्रियतम को पाकर
महोत्सव निरंतर मानते रहेंगे।
