शक्तिशाली बालक
शक्तिशाली बालक
एक था बालक भोला-भाला,
ईमानदार, सरल स्वभाव वाला।
न ही किसी से लड़ाई-झगड़ा,
पर शरीर से नहीं था तगड़ा।
जिससे उसे सब लोग चिढा़ते,
तरह-तरह की बात सुनाते।
आखिर उसने सोचा मन में,
कैसे ताकत आए तन में।
एक दिन उसे मिले ऋषि महान।
बोले- बेटा क्यों हो परेशान।
लड़के ने पूरी बात बताई,
अपनी सारी व्यथा सुनाई।
ऋषि ने कहा- न रहो उदास,
जगाओ मन में एक नई आस।
मैं तुमको देता हूँ वरदान,
हो जाओगे तुम बलवान।
कहते ही वह बन गया बलशाली,
मिली शक्तियाँ विलक्षण वाली।
अब नहीं करता कोई उसे तंग,
सरलता से सब रहते संग।