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Manju Saini

Others

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Manju Saini

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शीर्षक:रंगों का त्योहार

शीर्षक:रंगों का त्योहार

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तन के तार छूए बहुतों ने

 पर मिला न मीत अपना सा

   मन का तार न भीगा

    तुम अपने रंग में रंग लो 

     तो समझूँ कि आज होली हैं।


देखी पहले भी होली 

 दुनिया की रंगीनी की

   किन्तु रही कोरी की कोरी

     तुम अपने रंग में रंग लो

        तो समझूँ कि आज होली है।


मेरी चादर झीनी झीनी

 रंग से हो गई गीली गीली

   आओ उसको अपने रंग में रंगने

     तुम अपने रंग में रंग लो

        तो समझूँ कि आज होली हैं।



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