शीर्षक- हाले-दिल
शीर्षक- हाले-दिल
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रहम दिल जमाना न था
हम उम्मीद लगाते रहे।
तेरे दिये गम को हम
ताउम्र छुपाते रहे।
नहीं लगती अगर ठोकर
तो चलने में मजा क्या है
नहीं गर आँख में आँसू
तो हँसने में मजा क्या है
अगर दुश्मन नहीं कोई
तो जीने में मजा क्या है
रहे ना चार दिन भूखे
तो खाने में मजा क्या है
यार ना हों साथ में गर
तो जीवन में मजा क्या है
तंग हो हाथ ना जब तक
पैसो की कदर क्या है।
उम्मीद की दलानो पर
बेफिक्री की समझ क्या है।
हम न बदले, तुम न बदले
फिर प्यार को आजमाने का
सबब क्या है।
