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शाम तनहा है

शाम तनहा है

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शाम तनहा है

रात भी तनहा

चाँद मिलता है

अब यहाँ तनहा

 

टूटी हर आस

थम गया लम्हा

कसमसाता रहा

ये दिल तनहा

 

इश्क़ भी क्या

इसी को कहते हैं

लब तनहा है

जिस्म भी तनहा

 

साक़ी ग़र कोई

मिले भी तो क्या

जाम छलकेंगे

दोनों तनहा

 

जगमगाती

चाँदनी से परे

सूना सूना है

एक जहाँ तनहा

 

याद रह जाऐगी

दिलों में मेरी

जब चला जाऐगा

'निर्जन' तनहा

 

 

 


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