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Tushar Rastogi

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देखेहोंगे

देखेहोंगे

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देखे होंगे

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मेरी तरह  उसने भी तो रातों में

चाँद से लिपटते तारे देखे होंगे

 

चांदनी के आगोश में सिमटते

वो मदहोश नज़ारे देखे होंगे

 

छत की मुंडेर को थामे वो

रातों में मुझे ढूंढती होगी

 

सियाह रात के सर्द कुहरे में

बंद होठ धीरे से मुस्कुराते होंगे

 

अनकहे अनछुए एहसास उसके

दिल में भी धड़कते मचलते होंगे

 

बस कह नहीं पाती है वो

दिल की बात' निर्जन' तुझसे

 

ये बात दीगर किसने तो

उसने भी वही देखे होंगे...

 

--- तुषारराजरस्तोगी ---


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