रूहानी आवाज़..
रूहानी आवाज़..
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तेरी आवाज़ को जब , तुम मिली हों
कुछ अन्दाज़ बदला बदला हैं कही ...
अरसे बाद हीं सुनना हैं सही , लेकिन
ज़रूरी लिखा गया हुआ था कहीं ....
थकना क़बूल किसलिए करना
अभी तक गूँज जो रही हैं कही ....
माँग रहा हैं साज़-ए-हस्ती फिर से
याद रखने में बेकाम जो ठहरा कही ....