रूबरू
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कभी अपनों ने,
तो कभी परायों ने,
जज़्बातो के रंगों से मिलाया।
कभी नादानियों ने,
तो कभी गलतियों ने,
ज़िंदगी में संवारना सिखाया ।
कभी तन्हाइयो ने,
तो कभी तूफानों ने,
ख़ुद को ही खुदा से मिलवाया।
